व्याख्यान माला के पच्चीसवें अध्याय में “भूमंडलीकरण और बाजारवाद के प्रभाव में बदलती हिंदी कहानियां” विषयक व्याख्यान आयोजित ।
भूमंडलीकरण वैश्विक अर्थव्यवस्था का समावेश होता है – डॉ. कुमारी उर्वशी ।
जमशेदपुर :- वर्कर्स कॉलेज, जमशेदपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जा रहा । इस निमित्त महाविद्यालय द्वारा विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के साथ भिन्न-भिन्न विषयों को लेकर निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं । आज व्याख्यान माला श्रृंखला के पच्चीसवें अध्याय में “भूमंडलीकरण और बाजारवाद के प्रभाव में बदलती हिंदी कहानियां” विषयक व्याख्यान आयोजित किए गए । व्याख्यान को मुख्य वक्ता के रूप में रांची विमेंस कॉलेज, रांची के हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डॉ. कुमारी उर्वशी ने संबोधित किया । उन्होंने अपने संबोधन में वर्तमान बाजारवाद के बदलते दौर में हिंदी कहानियां के बदलते स्वरुप पर विस्तृत चर्चा की । वैश्वीकरण के परिवेश में आज की संस्कृति उपभोगतावादी संस्कृति हो चुकी है, बाजार लोगों की मानसिकता पर हावी है । चाहे उदारवाद हो या चाहे निजीकरण हो चाहे भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण हो, इन सभी समसामयिक मुद्दों को हिंदी कहानियों में भली-भांति देखा जा सकता है । साहित्य चुंकी समाज का दर्पण होता है, अतः समाजिक और परिवारिक समीकरणों को हिन्दी कहानियां दिखलाती हैं । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने व्याख्यान माला श्रृंखला के पच्चीसवें अध्याय का उद्घाटन करते हुए अपने स्वागत वक्त में मुख्य वक्ता डॉ. सुशील कुमार का स्वागत किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन की शुभकामनाएं प्रेषित की । कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन प्राध्यापक प्रो० भवेश कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग के प्राध्यापक प्रो. हरेंद्र पंडित ने की । इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक, प्रधान लिपिक, शिक्षकेत्तर कर्मी, छात्र प्रतिनिधि सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।