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मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता करने के इच्छुक :-घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक संघ 

झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की ऑनलाइन बैठक हुई, जिसमें घंटी आधारित शिक्षकों के भविष्य को लेकर विस्तृत चर्चा की गई तथा आगे की प्रक्रिया तय की गई।

ज्ञात हो कि झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के द्वारा रांची में विगत 26 जून को राज्य स्तरीय बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि संघ अपने समस्याओं के निराकरण हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता करने के लिए समय की मांग करेगा, क्योंकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2017 से कार्यरत इन घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के सेवा रेगुलराइजेशन करने हेतु स्टेच्यूट बनाने तथा टर्मिनेट शिक्षकों का सेवा बरकरार करने के मामले का निष्पादन माननीय मुख्यमंत्री महोदय ही कर सकते हैं।

इस मांग को मूर्त रूप देने के लिए झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की एक बैठक आज दिनांक 01.07.2022 को गुगल मीट ऐप पर आनलाईन संपन्न हुई। बैठक में रांची विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, बीबीएमकेयू,एसकेएमयू, विनोबा भावे विश्वविद्यालय तथा नीलांबर -पीतांबर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने भाग लिया।

झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा के नेतृत्व में बैठक संपन्न हुई इस बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता हेतु समय लेने का प्रयास किया जाए, क्योंकि विगत मार्च,2022 में महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदय एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय को इन शिक्षकों के रेगुलराइजेशन हेतु स्टेच्युट बनाने का मेमोरेंडम सौंपा गया था, परंतु अभी तक उक्त मांग पर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है,बल्कि जेपीएससी से हो रही रेगुलर नियुक्ति के बाद एसकेएमयू तथा कोल्हान विश्वविद्यालय से 12 घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को टर्मिनेट किया गया है।

माननीय मुख्यमंत्री महोदय अनुबंध कर्मियों को स्थायी करने का आश्वासन और तमाम समस्याओं का हल करने के लिए कई बार बोल चुके हैं कि अनुबंध कर्मी अपने समस्याओं को लेकर वार्ता करें, परन्तु मुख्यमंत्री जी ने अब तक हम सभी को वार्ता हेतु समय प्रदान नहीं किया है।
पूर्व के इतिहास को देखा जाए तो तात्कालिक रुप से नियुक्त शिक्षकों को वर्ष 1978,1980 तथा 1982 में क्रमशः 18 महीने और 24 महीने तक कार्य करने पर सरकार ने रेगुलराइजेशन हेतु स्टेच्युट बना कर रेगुलराइज किया था, फिर इन घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के साथ इस तरह का भेदभाव क्यों की जा रही है, यह बात समझ से परे है; जब राज्य एक कल्याणकारी संस्था है।

विदित हो कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में वर्ष 2017-18 में लगभग 800 घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति यूजीसी अर्हता के आधार पर, माननीय कुलपति महोदय की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा, सेंक्शन सीट पर मेधा सूची से , रोस्टर प्रणाली का पालन करते हुए चयनित व नियुक्त किया गया था । गौर करनेवाली बात यह भी है कि झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम,2000 के अनुसार तथा यूजीसी रेगुलेशन,2010 तथा 2018 के अनुसार महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में तात्कालिक रुप से नियुक्त शिक्षकों का कार्यकाल सिर्फ एक सत्र यानी 6 माह के लिए होती है,न कि चार – पांच वर्षों के लिए। इन घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की संतोषजनक सेवा को देखते हुए ही बार – बार सेवा विस्तार दिया गया है। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षक : छात्र अनुपात काफी असंतुलित है, फिर भी झारखंड में स्वीकृत रिक्त पद 2030 तथा अतिरिक्त पद 4181 यानी कुल 6211 पद रिक्त है। राज्य में नई शिक्षा नीति,2020 तथा यूजीसी रेगुलेशन,2018 भी लागू है। वहीं दूसरी ओर यूजीसी ने इन रिक्त पदों को भरने के लिए कई बार स्मरण पत्र भी राज्य सरकार व सभी विश्वविद्यालयों को भेजा है। परंतु अभी तक कोई ठोस कार्यवाई होती दिख नहीं रही है।
सभी शिक्षकों का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय जब प्रतिपक्ष में थे, तो अनुबंध कर्मियों के हितार्थ उन्हें रेगुलराइजेशन कर उनको गरिमामय जीवन यापन प्रदान करने का आश्वासन दिए थे, परंतु इन शिक्षकों की मांग अब तक पूर्ण नहीं हो पायी है। सरकार द्वारा इन शिक्षकों के लिए अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लेने और टर्मिनेट करने की स्थिति से सभी काफी क्षुब्ध और असंतुष्ट हैं।

विदित हो कि इन शिक्षकों को 600रुपया प्रति कक्षा तथा अधिकतम 36000 रुपया मानदेय प्रदान की जाती है। परंतु सभी को समान रुप से कक्षा आवंटित नहीं होने के कारण मानदेय में भी घोर असमानता व्याप्त है। जबकि इन शिक्षकों से महाविद्यालय द्वारा कक्षा के अतिरिक्त वो सारे कार्य लिए जाते हैं,जो स्थाई शिक्षक करते हैं। फलतः सभी विश्वविद्यालयों के घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के प्रतिनिधि मंडल माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अपने कल्याणार्थ वार्ता करने के इच्छुक हैं।
आज के बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के द्वारा सर्वसम्मति से चालीस सदस्यीय एक राज्यस्तरीय समिति का गठन भी किया गया। आज के बैठक में मुख्य रुप से डाॅ०राम कुमार तिर्की, डॉ०मिथलेश कुमार, डॉ०सत्यनारायण ओरांव, डॉ०कुमार सौरव, डॉ०सुमंत कुमार, डॉ०नरेंद्र कुमार दास, डॉ०के०के०कमलेंदू, डॉ०अंजना सिंह, डॉ०अन्नपूर्णा झा, डॉ०हरेंद्र पंडित, डॉ ०गोपीनाथ पांडेय, डॉ०निवेदिता मून मून, डॉ०माधुरी, डॉ०अवंतिका, डॉ०विश्वनाथ यादव, डॉ०धर्मेंद्र कुमार यादव, डॉ०बिनोद कुमार एक्का, डॉ०मुरारीलाल बैद्य, डॉ०रोहित कुमार चौबे, डॉ०आशीष प्रवीण,डॉ०व्यास कुमार, डॉ०वासुदेव प्रजापति, डॉ०अमित कुमार, डॉ०बिलकस पन्ना, डॉ०हर्षवर्द्धन, डॉ०रुपम , डॉ०शिप्रा , डॉ०सुनीता उरांव, डॉ०बिंदेश्वरी साहू, डॉ०संध्या कुमारी, डॉ०अमित मुंडा, डॉ ०आमित पात्रता, डॉ ०कृष्ण कुमार आर्या, डॉ ०भवेश कुमार, डॉ ०इंद्रभूषण कुमार , डॉ ०संतोष कुमार चौधरी, डॉ ०धीरेंद्र कुमार वर्मा, डॉ०मनोरंजन कुमार मेहता, डॉ०समीर सेठ, डॉ ०सरजू पाल, डॉ ०कंचन वर्णवाल, डॉ ०कंचन गिरि, डॉ ०कंचन सिंन्हा, डॉ ०शंभूनाथ सिंह, डॉ ०मंजू सहायक, डॉ ०तेतरु ओरांव, डॉ ०संजय यादव, डॉ ०देवेंद्र साहू, डॉ ०दिनेशचंद्र वर्मा, डॉ ०हिमांशु पांडेय, डॉ ०जुरा होरो, डॉ ०विरेंद्र कुमार, डॉ ०शांति नाग, डॉ ०अश्रिमता महतो, डॉ ०अनीता कुमारी, डॉ ०सचिदानंद मैती, डॉ ०ओम प्रकाश , डॉ ०मीनाक्षी वर्मा डॉ ०अनुज कुमार दांगी, डॉ ०ज्योति चौधरी, डॉ ०सुदिप्ता दास, डॉ०संदीप कुमार , डॉ ०पंकज कुमार आदि उपस्थित थे।

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