झारखंड सहायक प्राध्यापकों द्वारा अपनी मांगों को लेकर ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन :
jamshedpur
झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के द्वारा आयोजित “महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदय तथा माननीय मुख्यमंत्री महोदय के ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन कार्यक्रम के चौथे दिन राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत अनुबंध पर बहाल सैकड़ों सहायक प्राध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन कार्यक्रम के चौथे दिन अनुबंध पर बहाल सैकड़ों सहायक प्राध्यापकों ने अव्यवस्था के विरुद्ध एवम अपने मांगों को लेकर आवाज बुलंद करते हुए शांति पूर्ण ढंग से “सुख और समृद्धि” के प्रतीक सखुआ डाली लेकर मार्च पास्ट किया। यह मार्च पास्ट राजभवन से निकल कर कचहरी चौक होते हुए रेडियम रोड फिर मोरहावादी समीप बापू वाटिका स्थित गांधी जी की प्रतिमा के समीप समाप्त हुआ। जहां बापू जी के प्रतिमा पर सभी शिक्षकों ने माल्यार्पण कर भजन किये एवम सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना किया गया।
इस मौके पर प्रो० अवनेजर टेटे ने कहा कि राज्य बनने के बाद उच्च शिक्षा की स्थिति बहुत ही बदहाल हो गई है, यहां आलम यह है विभिन्न यूनिवर्सिटी में कई विभाग ऐसा है, जहां विद्यार्थी तो हैं पर शिक्षक नहीं ।
श्रीमति सुनिता उरांव ने कहा कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है, जिसे देखते हुए ही उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने हेतु घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों की नियुक्ति सन 2018 में की गई थी, परंतु ये नियुक्ति कितनी शोषणकारी थी उसका सहज अंदाजा हम सभी उच्च शिक्षित युवाओं ने नहीं लगाया था। इस शोषण से मुक्ति हेतु आज हमसबों ने सुख और समृद्धि के प्रतीक सखुआ डाली लेकर कार्यक्रम की है ताकि सरकार को सद्बुद्धि आये।
डॉ० सुधा ग्लेक्सिन एवं डॉ०अन्नुसूमन बाड़ा ने सखुआ डाली कार्यक्रम के बारे में कहा कि जिस प्रकार सिद्धू-कान्हू, चाॅद भैरव तथा बिरसा मुंडा आंदोलन में अंग्रेजों के शोषण कारी व्यवस्था के विरुद्ध गांव गांव जाकर सबों के बीच सखुआ डाली भेज कर एकत्रित होकर विरोध करने का संदेश दिया, ठीक उसी तरह से उच्च शिक्षा व्यवस्था के इस शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध हमलोगों ने सखुआ डाली कार्यक्रम करके सरकार का ध्यानाकर्षण की हूं। डॉ० स्वीटी मरांडी ने कहा कि जब अंग्रेजों की शोषण से हम-सब मुक्ति पा सकते हैं तो उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय की शोषणकारी नीति से भी मुक्ति पाउंगी। सरकार, घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों को रेगुलराइज करते हुए, यूजीसी ग्रेड पे के अनुसार तत्काल एक निश्चित मानदेय तय करें और हमारे टर्मीनेट शिक्षकों को सेवा में तत्काल बहाल करे। अन्यथा सखुआ डाली कार्यक्रम से हम झारखंडवासियों में बिगुल फूंकी जा चूकी है, इसका दूरगामी परिणाम भुगतने के लिए सरकार तैयार रहे।
डॉ० तेतरु उरांव ने कहा कि सरकार ने सत्ता में आने से पहले हम घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों के प्रति काफी संवेदनाएं दिखाई थी, परंतु सरकार बनने के वावजूद आज तक हमलोग वंचित रहे, जिसके कारण सखुआ डाली कार्यक्रम करना पड़ा।
आज के ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये सैकड़ों घंटी आधारित अनुबंध शिक्षक उपस्थित रहे। मुख्य रूप से डॉ० सोनू फ्रांसिस मूर्मू, डॉ०आदित्य कुमार महतो, डॉ० संयोजित लकड़ा, डॉ० गुरुचरण पूर्ति, डॉ० मनोज कच्छप, डॉ० रेखा कुमारी, डॉ० पुष्पा कुमारी, डॉ० यदुवंश यादव, डॉ० इंद्रभूषण, डॉ० एस० के० झा, डॉ० निरंजन कुमार महतो, डॉ० ब्रह्मानंद साहू, डॉ० त्रिभूवन शाही, डॉ० मिराकल टेटे, डॉ० सत्यनारायण उरांव, डॉ० नीरा वर्मा, डॉ० संजू कुमारी, डॉ० बिरेंद्र ऊरांव, डॉ० बी. एन. साहू, डॉ० दीपक कुमार, डॉ० सुमंत झा, डॉ० अजय नाथ सहदेव, डॉ० नरेन्द्र दास, डॉ० राम कुमार, डॉ० मिथिलेश कुमार सिंह, डॉ० बिलकस पन्ना, इत्यादि ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर भाग लिया।