बिरसा सेना के आगे जिला प्रशासन को झुकना पड़ा ।
डीसीएलआर के साथ वार्ता में बिरसा सेना ने टाटा स्टील एमडी, जिला उपायुक्त तथा बिरसा सेना तीनों की उपस्थिति में ही वार्ता करने की शर्त पर अड़े जिसे देख प्रशासन को वापस जाना पड़ा ।
जमशेदपुर:-
बिरसा सेना द्वारा बारीडीह गोलचक्कर का नामकरण के लिए 30 जून हूल दिवस के अवसर पर पथलगड़ी किया गया था, जिसे JNAC प्रशासन के साथ मिलकर बारीडीह चौक से जब्द कर 1 जुलाई को ले गई थी, जिसके विरोध में 1 जुलाई शाम से बिरसा सेना के सदस्य भूख हड़ताल पर बैठ गए थे ।
48 घंटे का अल्टीमेटम भी काम नहीं आया ।
बिरसा सेना के द्वारा प्रशासन को 48 घंटे के अंदर पत्थलगड़ी को वापस करने का अल्टीमेटम दिया गया था, वरना वृहद आंदोलन की चेतावनी दी गई थी, मगर प्रशासन के और से 48 घंटा बीत जाने के बाद भी कोई सुध नहीं लिया गया ।
बिरसा सेना के केंद्रीय अध्यक्ष को ले जाना पड़ा हॉस्पिटल ।
भूख हड़ताल के दूसरे फिर बिरसा सेना के केंद्रीय अध्यक्ष दिनकर कच्छप हुए बेहोश जिसे आनन-फानन में एंबुलेंस बुलाकर एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया तथा ट्रीटमेंट के बाद श्री कच्छप पुनः धरना स्थल पर उपस्थित हुए।
बिरसा सेना के केंद्रीय अध्यक्ष का अस्पताल जाना लाया रंग।
लगातार भूख हड़ताल पर बैठे दिनकर कच्छप का हड़ताल के दूसरे दिन रक्त चाप काम होने के कारण बेहोश हो गए, यह खबर सुन विभिन्न संगठनों के सैकड़ों लोग जमा होने लगे तथा प्रशासन के द्वारा हड़ताल को अनदेखा करने को लेकर आक्रोश बढ़ा, देखते ही देखते विभिन्न संगठनों के सैकड़ों लोग जमा हो गए तथा पथलगढ़ी के बदले प्रतिमा लगाने का फैसला लिया गया ।
जिला प्रशासन तथा JNAC के पदाधिकारी को पीछे हटना पड़ा।
हड़ताल के चौथे दिन प्रशासन को प्रतिमा लगाने की आशंका के बीच भारी मात्रा में पुलिस बल के साथ JNAC के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे तथा धरना समाप्त कराने का भरपूर कोशिश किए, मगर बिरसा सेना के द्वारा JNAC को अवैध कहते हुए नारेबाजी करने लगे, काफी मशक्कत के बाद भी आंदोलन वापस नहीं करा पाए ।
DCLR रविन्द्र गगराई को आना पड़ा ।
जब कोई हल नहीं निकला तब QRT के टीम को बुलाना पड़ा जिसे देख युवा और भी ज्यादा भड़क गए तथा जिला प्रशासन, टाटा स्टील तथा JNAC के खिलाफ नारा लगाने लगे,
डीसीएलआर के साथ वार्ता में बिरसा सेना ने टाटा स्टील एमडी, जिला उपायुक्त तथा बिरसा सेना तीनों की उपस्थिति में ही वार्ता करने की शर्त पर अड़े जिसे देख प्रशासन को वापस जाना पड़ा ।
हड़िया पीला के भूख हड़ताल को समाप्त किया ।
हड़ताल के पांचवे दिन आदिवासी परंपरा के अनुसार हड़िया तथा लेटो का पूजा किया गया उसके बाद भूख हड़ताल में बैठे सभी को हड़िया पिलाते हुए हड़ताल को तोड़ा गया ।
निम्न संगठनों का समर्थन रहा।
बिरसा नगर ग्राम सभा, नीलडीह मौजा ग्राम सभा, जाहिरा टोला ग्राम सभा,आदिवासी भूमीज समाज, चुवाड़ सेना , आदिवासी आदिवासी मुंडा समाज, आदिवासी युवा एकता मंच, झारखंड क्रांति मोर्चा, संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन, चांडिल, लोहरा करमाली समन्वय समिति, बिरसनगर हो समाज, बाबूडीह हो समाज, कोल्हान प्रमंडल पान तांती समाज कल्याण समिति, यदुवंश गोप समाज युवा मंच, हो समाज कल्याण समिति, झारखंडी भाषा भाषी मूलनिवासी, उलीडीह ग्राम सभा, उरांव समाज बिरसानगर तथा अन्य संगठनों का समर्थन रहा।
बिरसा सेना के केंद्रीय अध्यक्ष दिनकर कच्छप, राजाराम मुर्मू, बलराम कर्मकार और गुरुचरण कर्मकार भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। विगत 4 जुलाई को कोका कमार करमाली के प्रतिमा को स्थापित करने समय जेएनएसी प्रशासनिक दल बल के साथ आएं और आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास करने लगे। लेकिन पारंपरिक हथियारों से लैस बिरसा सेना के कार्यकर्ता उनकी एक ना सुनी। बिरसा सेना का कहना है कि बारीडीह चौक पांचवी अनुसूची क्षेत्र में आता है यहां पर जेएनएसी का क्या काम? बिरसा सेना के कार्यकर्ता अपनी बातों पर डटे रहे हैं मजबूरन वहां के हालात देखकर प्रशासन को लौटना पड़ा। आंदोलन को सफल बनाने के लिए बिरसा सेना के जिला अध्यक्ष बिकास हेंब्रम,अजय लोहार, मार्शल मुर्मू, दीपक सिंह, प्रीतम टुडू , अजय सिंह जामुदा, राजाराम मुर्मू, मंगल टुडू, नीरज गोप, रविन्द्र गॉड, घसीराम सिंह, सीमा कच्छप, सोनिया मुंडा, रानी मुंडा, दीपक समद, राजा पूर्ति, रोहित बोदरा, साहिल समद, धनजय सिंह सरदार, लाल सिंह मुंडा, सिबनाथ बेसरा, दीनबंधु सिंह सरदार, कारण सुंडी, पप्पू संख, सुकू हंसदा,दीपक रंजीत, सुनील, सुलोचना मुंडा, बाबू मुंडा, अनूप टोपनो तथा सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।