
नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025:
हर साल अप्रैल महीने में बंगाल और देशभर में फैले बंगाली समुदाय के बीच एक खास उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है – पोइला बैशाख, यानी कि बंगाली नववर्ष।
इस दिन बंगाली पंचांग का पहला दिन होता है और यह बंगालियों के लिए सिर्फ एक नया साल नहीं, बल्कि एक संस्कृति, परंपरा और नई शुरुआत का प्रतीक भी है। इस वर्ष पोइला बैशाख 15 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
कैसे मनाया जाता है पोइला बैशाख?
सुबह-सुबह लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर मंदिरों में जाते हैं और माँ दुर्गा व अन्य देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। मिठाइयों, खासकर रसगुल्ला, संदेश, और मिष्टी दोई के साथ लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं – “शुभो नववर्ष“।
व्यापारियों के लिए भी यह दिन खास महत्व रखता है। वे “हालखाता” (नई बही खाता) की शुरुआत करते हैं, जिसमें पुराने लेन-देन का हिसाब बंद कर नए साल की शुरुआत की जाती है। ग्राहक को आमंत्रित कर पूजा की जाती है और मिठाई बांटी जाती है।
बदलते दौर में उत्सव का अंदाज़
आज के डिजिटल युग में भी पोइला बैशाख की चमक फीकी नहीं पड़ी है। सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं का तांता लगा रहता है, ऑनलाइन कुकिंग क्लासेस और बंगाली म्यूज़िक शोज़ इस दिन को और भी खास बना देते हैं।
बड़े शहरों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, फूड फेस्टिवल, और बंगाली फैशन शो जैसे इवेंट्स भी आयोजित किए जाते हैं, जो युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं।
सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
पोइला बैशाख सिर्फ बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का भी प्रतीक है। तमिल नववर्ष (पुथांडु), असमिया बिहू, केरल का विशु – ये सभी इसी समय के आस-पास मनाए जाते हैं, और यही दर्शाता है भारत की विविध परंपराओं में छिपी एकता।
शुभो नववर्ष!
आप सभी को नए साल की ढेरों शुभकामनाएं। नया साल आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए।