170वां हूल दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया, संथाल वीरों को दी गई श्रद्धांजलि । hul diwas 2025 haludbani
जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत सिद्धो-कान्हो चौक, हुलूदबनी परसुडीह में संपन्न हुआ।

📍 जमशेदपुर, 30 जून 2025:- झारखंड की वीरभूमि पर एक बार फिर इतिहास को स्मरण किया गया जब 170वां हूल दिवस पूर्व पंचायत समिति संघ द्वारा सोमवार को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। यह आयोजन जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत सिद्धो-कान्हो चौक, हुलूदबनी परसुडीह में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अगुवाई पूर्व पंचायत समिति संघ के अध्यक्ष राजु बेसरा ने की।
इस अवसर पर वीर सिद्धो-कान्हो, चांद-भैरव, फुलो-झानो समेत तमाम अमर क्रांतिकारियों को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया।
🔸 सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष राजु बेसरा ने कहा:
“भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। ‘हूल’ का संथाली में अर्थ होता है ‘विद्रोह’। यह विद्रोह 30 जून 1855 को भोगनाडीह गांव से शुरू हुआ था, जब वीर सिद्धो-कान्हो मुर्मू के नेतृत्व में 50,000 से अधिक आदिवासी योद्धाओं ने अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती दी थी।”
उन्होंने बताया कि उस समय 400 गांवों के आदिवासी “हमारी माटी छोड़ो” का नारा देते हुए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष में कूद पड़े थे। यह केवल क्रांति नहीं, बल्कि स्वाभिमान और अधिकारों की रक्षा का ऐतिहासिक संघर्ष था।
📌 हूल दिवस हर वर्ष 30 जून को संथाल विद्रोह (1855-56) की स्मृति में मनाया जाता है। यह केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि आज भी आदिवासी समाज के गौरव और बलिदान का प्रतीक है।
👉 कार्यक्रम में महेन्द्र आल्डा, भीम चरण मार्डी, जितेन हेमब्रम, कन्हाई करुवा समेत कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक उपस्थित रहे।
एक स्वर में सभी ने संकल्प लिया कि आदिवासी वीरों की बलिदानी गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा, ताकि आने वाली नस्लें जान सकें कि भारत की आज़ादी केवल एक वर्ग नहीं, बल्कि जन-जन के त्याग का परिणाम है।