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जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के विधायक सरयू राय ने झारखंड के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से भेजा है।

जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा के विधायक सरयू राय ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से बताया कि विगत 22 मई 2022 (जैव विविधता दिवस) से 26 मई 2022 तक स्वर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल रानी चुँआ से मऊ भंडार तक नदी के प्रदूषण की समीक्षा के लिये तथा 5 जून 2022 (विश्व पर्यावरण दिवस) से 9 जून 2022 (गंगा दशहरा) तक दामोदर नद के प्रदूषण की समीक्षा के लिये मैंने विशेषज्ञों की टीम के साथ यात्रा की. इन यात्राओं के निचोड़ को झारखंड के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को पत्र के माध्यम से भेजा है।

पत्र में लिखा है की मुझे यह घोषणा दोहराते हुए प्रसन्नता हो रही 95 प्रतिशत से अधिक दामोदर नद और स्वर्णरेखा नदी आज औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हो गये हैं.

समीक्षा यात्रा के दौरान पाया गया कि इन नदियों में नगर निगमों/नगरपालिकाओं से हो रही नगरीय प्रदूषण बढ़ा है. बढ़ते हुए शहरीकरण से इस प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. टाटा लीज के सीमित क्षेत्र को छोड़कर राज्य में कहीं भी सिवरेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था काम नहीं कर रही है. नतीजा है कि नदियाँ, जिन्हें हम माँ कहते हैं, मैला ढोने वाली मैला गाड़ी बन गई है.

इसका मुख्य कारण शहरीकरण की नीति का अविवेकपूर्ण क्रियान्वयन है. अट्टालिकाओं वाले हमारे बड़े शहर समृद्धि युक्त स्लम में बनने की ओर अग्रसर हैं. छोटे शहरों का बेतरतीब विकास हो रहा है. सिवरेज सिस्टम, विभिन्न श्रेणी के ठोस कचरा, मेडिकल कचरा, हानिकारक कचरा आदि के विस्तार की व्यवस्था का अभाव है.

नदी, नालों का अतिक्रमण हो रहा है. इनके किनारे बसने वाले अपना जल, मल, मूत्र सीधे नदी नाला में डाल रहे हैं. वहीं पानी पीने के लिये आपूर्ति हो रहा है. पेयजल का शुद्धीकरण केवल फिटकिरी और क्लोरीन से हो रहा है जो मल से निःसृत बैक्टिरिया को नहीं मार पाते हैं. वे बैक्टीरिया, जीवाणु घरों तक पहुँचते है. डायरिया, इकोलाई, बिकोलाई, टायफायड का कारण बनते हैं.
अब मैंने स्वयंसेवक समूहों और पर्यावरण प्रेमियों को साथ लेकर अभियान के दूसरे चरण की घोषणा कर रहा हूँ. दोनों नद-नदी को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने के पहले चरण की सफलता के बाद इन्हें नगरीय प्रदूषण से मुक्त करने के दूसरे चरण का अभियान चलाने का निर्णय रजरप्पा में 8 जून 2022 को लिया गया, जिसकी घोषणा आपके समक्ष हो रही है. मैं राज्य सरकार से अनुरोध करता हूँ कि नदियों एवं जलस्रोतों को संरक्षित करने के लिये कानून बनाये. 15 दिनों में सरकार इसके लिये विधेयक लाने की घोषणा करे. अन्यथा मैं विधानसभा के अगले सत्र में इस बारे में एक निजी विधेयक लाऊँगा.

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